1. केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड
ऐतिहासिक महत्व:
केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिंदू पौराणिक कथाओं में इसका बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए पांडवों ने इसका निर्माण करवाया था।
निर्माण:
कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण मूल रूप से पांडवों ने करवाया था, लेकिन वर्तमान संरचना 8वीं शताब्दी ई. में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाई गई थी। यह मंदिर मंदाकिनी नदी के पास, बर्फ से ढके हिमालय के बीच भव्य रूप से खड़ा है।
पता:
केदारनाथ मंदिर, केदारनाथ, उत्तराखंड 246445, भारत
2. सोमनाथ मंदिर, गुजरात
ऐतिहासिक महत्व:
सोमनाथ मंदिर शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से पहला है। आक्रमणों के कारण इसका बार-बार विनाश और पुनर्निर्माण का इतिहास रहा है। इसे दृढ़ता और आस्था का प्रतीक माना जाता है।
निर्माण:
मंदिर का निर्माण मूल रूप से चंद्र देव सोम ने सोने से करवाया था, फिर रावण ने चांदी से, कृष्ण ने लकड़ी से और भीमदेव सोलंकी ने पत्थर से इसका पुनर्निर्माण करवाया। वर्तमान मंदिर का पुनर्निर्माण 1951 में सरदार वल्लभभाई पटेल ने करवाया था।
पता:
सोमनाथ मंदिर, वेरावल, गुजरात 362268, भारत
3. काशी विश्वनाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश
ऐतिहासिक महत्व:
वाराणसी में स्थित, काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। इसे एक प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है और माना जाता है कि यहीं पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निर्माण:
इतिहास में मंदिर को कई बार नष्ट किया गया और फिर से बनाया गया। वर्तमान संरचना का निर्माण मराठा सम्राट अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में करवाया था।
पता:
काशी विश्वनाथ मंदिर, लाहौरी टोला, वाराणसी, उत्तर प्रदेश 221001, भारत
4. बैद्यनाथ मंदिर, झारखंड
ऐतिहासिक महत्व:
बैद्यनाथ मंदिर, जिसे बाबा बैद्यनाथ धाम या देवघर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे एक प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि रावण ने अजेय शक्तियाँ प्राप्त करने के लिए यहाँ भगवान शिव की पूजा की थी।
निर्माण:
मंदिर की उत्पत्ति प्राचीन है, जिसका उल्लेख कई पुराणों में मिलता है। माना जाता है कि वर्तमान संरचना का निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा पूरन मल ने करवाया था। मंदिर परिसर में मुख्य ज्योतिर्लिंग और कई अन्य मंदिर हैं।
पता:
बैद्यनाथ मंदिर, देवघर, झारखंड 814112, भारत
5. बृहदेश्वर मंदिर, तमिलनाडु
ऐतिहासिक महत्व:
बृहदेश्वर मंदिर, जिसे पेरुवुदैयार कोविल के नाम से भी जाना जाता है, यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। यह भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है और द्रविड़ वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है।
निर्माण:
चोल सम्राट राजा राजा चोल प्रथम द्वारा 1003 और 1010 ईस्वी के बीच निर्मित, यह मंदिर अपने विशाल विमान (मंदिर टॉवर) के साथ एक वास्तुशिल्प चमत्कार है।
पता:
बृहदेश्वर मंदिर, मेम्बलम रोड, बालगणपति नगर, तंजावुर, तमिलनाडु 613007, भारत
6. महाकालेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश
ऐतिहासिक महत्व:
उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह भस्म आरती की अपनी अनूठी परंपरा के लिए पूजनीय है, जो प्रतिदिन सुबह के समय की जाती है।
निर्माण:
मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। इसका उल्लेख पुराणों में किया गया है और 18वीं शताब्दी में मराठा शासक रानोजी शिंदे के महत्वपूर्ण योगदान के साथ इसे कई बार पुनर्निर्मित किया गया है।
पता:
महाकालेश्वर मंदिर, जयसिंहपुरा, उज्जैन, मध्य प्रदेश 456006, भारत
7. रामनाथस्वामी मंदिर, तमिलनाडु
ऐतिहासिक महत्व:
रामेश्वरम द्वीप पर स्थित रामनाथस्वामी मंदिर, चार धामों में से एक है और रामायण से इसका गहरा संबंध है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए यहाँ शिव की पूजा की थी।
निर्माण:
मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में पांड्या राजवंश द्वारा शुरू किया गया था और बाद में विभिन्न शासकों द्वारा इसका विस्तार किया गया। यह अपने भव्य गलियारों और विशाल गोपुरम (प्रवेश द्वार) के लिए प्रसिद्ध है।
पता:
रामनाथस्वामी मंदिर, रामेश्वरम, तमिलनाडु 623526, भारत
8. लिंगराज मंदिर, ओडिशा
ऐतिहासिक महत्व:
लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर के सबसे पुराने और सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। यह हरिहर को समर्पित है, जो शिव और विष्णु का संयुक्त रूप है। मंदिर कलिंग वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है।
निर्माण:
मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में सोमवंशी राजा ययाति प्रथम ने करवाया था। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल और प्राचीन भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति है।
पता:
लिंगराज मंदिर, लिंगराज नगर, पुराना शहर, भुवनेश्वर, ओडिशा 751002, भारत
9. अमरनाथ गुफा मंदिर, जम्मू और कश्मीर
ऐतिहासिक महत्व:
अमरनाथ गुफा मंदिर हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने देवी पार्वती को अमरता का रहस्य यहीं बताया था। प्राकृतिक रूप से बना बर्फ का शिव लिंग यहाँ का मुख्य आकर्षण है।
निर्माण:
गुफा की खोज 15वीं शताब्दी में बूटा मलिक नामक एक चरवाहे ने की थी। अमरनाथ यात्रा, एक वार्षिक तीर्थयात्रा है, जो जुलाई और अगस्त के महीनों के दौरान आयोजित की जाती है।
पता:
अमरनाथ गुफा मंदिर, पहलगाम, जम्मू और कश्मीर 192126, भारत
10. नीलकंठ महादेव मंदिर, उत्तराखंड
ऐतिहासिक महत्व:
पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित, नीलकंठ महादेव मंदिर वह स्थान है जहाँ भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान विष पीया था, जिससे उनका गला नीला हो गया था।
निर्माण:
मंदिर की जड़ें प्राचीन हैं, हालाँकि इसके निर्माण की सही अवधि के बारे में अच्छी तरह से जानकारी नहीं है। यह भक्तों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है, खासकर सावन में कांवड़ यात्रा के दौरान।
पता:
नीलकंठ महादेव मंदिर, कोटद्वार – पौड़ी रोड, कोटद्वार, उत्तराखंड 246149, भारत
11. घृष्णेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र
ऐतिहासिक महत्व:
एलोरा गुफाओं के पास स्थित घृष्णेश्वर मंदिर, बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से अंतिम है। मंदिर की वास्तुकला इसकी जटिल नक्काशी और मूर्तियों के लिए उल्लेखनीय है।
निर्माण:
मंदिर का पुनर्निर्माण 18वीं शताब्दी में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था। यह एलोरा गुफाओं में आने वाले भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है।
पता:
ग्रिश्नेश्वर मंदिर, वेरुल, महाराष्ट्र 431102, भारत
12. तारकेश्वर मंदिर, पश्चिम बंगाल
ऐतिहासिक महत्व:
हुगली जिले में स्थित तारकेश्वर मंदिर पूर्वी भारत का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह भगवान शिव के अवतार बाबा तारकनाथ को समर्पित है।
निर्माण:
मंदिर का निर्माण 1729 में राजा भारमल्ला ने करवाया था। सावन महीने और शिवरात्रि के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
पता:
तारकेश्वर मंदिर, तारकेश्वर, पश्चिम बंगाल 712410, भारत
13. मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक
ऐतिहासिक महत्व:
मुरुदेश्वर मंदिर भगवान शिव की अपनी विशाल प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है, जो दुनिया में शिव की सबसे ऊँची प्रतिमाओं में से एक है। यह मंदिर अरब सागर के तट पर स्थित है, जहाँ से एक सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
निर्माण:
आज जैसा मंदिर परिसर दिखाई देता है, उसका निर्माण परोपकारी और व्यवसायी आर.एन. शेट्टी ने 20वीं सदी के अंत में किया था। माना जाता है कि मुख्य देवता रामायण काल के हैं।
पता:
मुरुदेश्वर मंदिर, मुर्देश्वर, कर्नाटक 581350, भारत
14. वडक्कुनाथन मंदिर, केरल
ऐतिहासिक महत्व:
त्रिशूर में स्थित वडक्कुनाथन मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है और केरल वास्तुकला का एक शास्त्रीय उदाहरण है। यह त्रिशूर पूरम उत्सव के लिए प्रसिद्ध है।
निर्माण:
माना जाता है कि मंदिर का निर्माण भगवान विष्णु के अवतार परशुराम ने करवाया था। इसका उल्लेख ब्रह्माण्ड पुराण में मिलता है और यह संरचना 1000 साल से भी पुरानी है।
पता:
वडक्कुनाथन मंदिर, स्वराज राउंड एन, थेक्किंकडू मैदान, त्रिशूर, केरल 680001, भारत
15. कोटिलिंगेश्वर मंदिर, कर्नाटक
ऐतिहासिक महत्व:
कोलार जिले में स्थित कोटिलिंगेश्वर मंदिर दुनिया के सबसे बड़े शिव लिंगों में से एक के लिए प्रसिद्ध है, जो 108 फीट ऊंचा है। मंदिर परिसर में लाखों छोटे शिव लिंग हैं।
निर्माण:
मंदिर का निर्माण 1980 में स्वामी संभा शिवमूर्ति ने करवाया था। इसका उद्देश्य मंदिर परिसर में एक करोड़ (दस मिलियन) शिव लिंग स्थापित करना था।
पता:
कोटिलिंगेश्वर मंदिर, कम्मासंद्रा, कोलार, कर्नाटक 563121, भारत
16. श्रीकालहस्तेश्वर मंदिर, आंध्र प्रदेश
ऐतिहासिक महत्व:
श्रीकालहस्ति में स्थित श्रीकालहस्तेश्वर मंदिर, पंचभूत स्थलों में से एक है, जो वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। यह अपने वायु लिंग के लिए प्रसिद्ध है, जो पाँच मौलिक लिंगों में से एक है।
निर्माण:
मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में चोलों द्वारा किया गया था और बाद में विजयनगर साम्राज्य द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया गया था। इसमें जटिल नक्काशी और प्रभावशाली वास्तुकला है।
पता:
श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर, श्रीकालहस्ती, आंध्र प्रदेश 517644, भारत
ये मंदिर भारत भर में भगवान शिव की पूजा की विविध और समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं, एक गहन आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं और प्रत्येक मंदिर अद्वितीय ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व प्रदान करता है।। सावन के दौरान इनका दौरा करना एक गहन समृद्ध यात्रा हो सकती है।