महाकुम्भ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के बयान
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ( शुक्राचार्य ) और अखिलेश यादव ki Milibhagat | अविमुक्तेश्वरानंद ki dikkat
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और अखिलेश यादव
महाकुंभ में ऐसे मिले सपा सुप्रीमो, अखिलेश यादव शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद से
दोनों हाथ जोड़कर जमीन पर बैठे अखिलेश यादव…
अखिलेश यादव ने शंकराचार्य और उनके शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद से काशी में लाठीचार्ज की
अखिलेश यादव और शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
शंकराचार्य के बयान पर भड़का अखाड़ा परिषद
Prayagraj – महाकुम्भ नगर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के बयान पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।
महाकुम्भ नगर वरिष्ठ संवाददाता महाकुम्भ नगर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के बयान पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व मनसा देवी मंदिर के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने कहा कि मेला प्रशासन ने बहुत ही अच्छा काम किया। जो घटना हुई वो दु:खद थी, लेकिन प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अच्छा काम किया। अखाड़ों से समन्वय बनाकर लोगों को सुरक्षित भी निकाला। ऐसे मामले पर बयान जारी करने वालों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को स्वयंभू शंकराचार्य करार दिया और कहा कि उनकी वसीयत की जांच होनी चाहिए। ऐसे लोगों को मेला क्षेत्र से बाहर करना चाहिए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद उनके खिलाफ प्रस्ताव पास कर उन्हें फर्जी शंकराचार्य घोषित करता है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन को बदनाम करना आसान है लेकिन 10 से 11 करोड़़ श्रद्धालुओं को संभालना भी मुश्किल है। फिर भी मेला व्यवस्थित ही कहा जाएगा।
वाराणसी/हरिद्वार। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने वाराणसी में छह साल पूर्व हुए लाठीचार्ज के लिए संतों से माफी मांगी है। उन्होंने कहा कि ‘जो गलती हुई थी, उसे स्वीकार करते हुए मैंने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद और उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से क्षमा मांगी है।
रविवार को अखिलेश यादव हरिद्वार पहुंचे और कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में उन्होंने कहा कि पिछले दिनों शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मथुरा में बयान दिया था देश के किसान कितनी तकलीफ में हैं। इसी से प्रभावित होकर वह शंकराचार्य का आशीर्वाद लेने यहां आए हैं।
दरअसल, मामला वाराणसी जिले में वर्ष 2015 का है तब उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के शासनकाल में प्रशासन ने संतों को गंगा में गणेश प्रतिमा का विसर्जन नहीं करने दिया था। इससे नाराज संत और बटुक श्रीविद्यामठ प्रमुख स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के साथ गंगा तट पर ही धरने पर बैठ गए। संतों को हटाने के लिए पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज किया। इसमें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद समेत कई संतों को चोट आई थी।
यह था मामला
22-23 सितंबर 2015 की रात में वाराणसी में गोदौलिया पर संतों और बटुकों के प्रदर्शन को रोकने के लिए जिलाधिकारी राजमणि यादव के निर्देश पर लाठी चार्ज किया गया था। इस दौरान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, बालकदास सहित कई लोग और तीन दर्जन के करीब बटुक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। संतों का गणेश प्रतिमा को ठहरे हुए जल में विर्सजन को शास्त्र विरुद्ध बताते हुए इसे प्रवाहमय जल में करने की मांग की गई थी। जबकि प्रशासन प्रतिमाओं को तालाब में विर्सजन करवाने पर अड़ा हुआ था। इस प्रकरण को लेकर लंबा विवाद चला और प्रशासन ने लाठी चार्ज कर प्रतिमाओं को संतों की मंशा के विपरीत जाकर जबरन तालाब में विसर्जन करवाया था।
अखिलेश यादव और शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
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